भारत में बांझपन तेजी से क्यों बढ़ रहा है?
- BabyJoy IVF
- Jan 9
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बीते कुछ समय लोगों में बांझपन की शिकायत बढ़ती गई है, और समय रहते इस बात को लेकर विचार नहीं किया गया तो यह भी एक आम बीमारी बन जाएगी। इस बात में कोई शक नहीं है कि आज के दौर में बांझपन का इलाज हमारे बीच में मौजूद है, लेकिन हमारे सामने सवाल यह है कि बीते सालों में ऐसा क्या हुआ है कि भारत में बांझपन तेजी से क्यों बढ़ रहा है? अगर आप भी निसंतानता की समस्या से जुझ रहे हैं तो दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ सेंटर (Best IVF Centre in Delhi) से संपर्क कर सकते हैं।
बांझपन के बढ़ते मामले इस बात पर विचार करने के लिए मजबूर करता है कि ऐसा क्या हो गया है कि आज हर 8 में से 1 कपल बांझपन से जुझ रहा है। एक दौर था जब कोई बांझ होता था तो उसे श्रापित माना जाता है, और आज हर कोई उसी तरफ बढ़ता जा रहा है। एआरटी के मदद से आप बांझपन को हरा सकते हैं, लेकिन कुछ बांझपन के मामले सभी से अलग होते हैं और कई बार ऐसे बांझपन के कारणों का पता भी नहीं चलता है। ऐसे में आपके लिए जरूरी हो जाता है कि आप उन आदतों और वजहों से बचें जो बांझपन का कारण बन सकते हैं।
बात करे बांझपन के बढ़ते मामलों के कारण की तो यह हमारे दैनिक जीवन में किए गए क्रियाकलाप भी एक वजह हो सकता है। जैसे – तनाव में रहना, नींद पूरी न करना और बात-बात पर उच्च बीपी का होना। इस तरह के दैनिक क्रियाकलाप भी बांझपन का कारण बन सकता है, और भारत की 70 प्रतिशत जनता को इसके बारे में जानकारी भी नहीं है। भारत में बांझपन बढ़ते मामलों को मद्देनजर रखते हुए, जब कारणों को जानने की कोशीश की गई तो तीन मुख्य कारण निकलकर बाहर आये। कारण है – प्रदुषण, उम्र और लोगों का लाइफस्टाइल।
प्रदुषण(Pollution)
पुरूष प्रजनन और प्रदुषण को लेकर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि वायु प्रदुषण का पुरूष प्रजनन क्षमता पर असर डालता है। अध्ययन में निकलकर आया है कि वायु प्रदुषण वीर्य की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, और शुक्राणु पर किसी भी तरह का नकारात्मक प्रभाव पुरूष बांझपन का कारण बनता है। शुक्राणु में किसी भी तरह की कमी का मतलब है कि शुक्राणु संख्या, शुक्राणु गुणवत्ता और शुक्राणु गतिशीलता पर असर पड़ना।
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आमतौर पर, गर्भधारण करने के लिए एक शुक्राणु काफी होता है, लेकिन उसके लिए शुकाणु की संख्या और गुणवत्ता के साथ-साथ शुक्राणु में गतिशीलता का होना जरूरी है। शुक्राणु गतिशीलता ही तय करती है कि शुक्राणु अपना रास्ता तय करते हुए अंडाशय तक का सफर तय करे, और निषेचन का इतंजार करता है। लेकिन अगर शुक्राणु से जुड़ी कमी के वजह से एक पुरूष के लिए ऐसा करना नामुमकिन हो जाता है और इस परिस्थिति को ही पुरूष बांझपन कहा जाता है। भारत में जिस अनुसार जनसंख्या बढ़ी है, उसी अनुसार प्रदुषण भी बढ़ा है और न चाहते हुए भी जनता इसका शिकार हो रही है।
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उम्र(Age)
आज के दौर में पुरूष और महिला करीयर उन्मुख हो गए हैं। आज की युवा शादी, परिवार और बच्चे से पहले अपने करीयर पर फोकस करते हैं, और एक सच यह है कि करीयर के बनने में काफी समय लगता है। ऐसे में आज के समय में शादी की उम्र बढ़ गई है, सरल शब्दों में कहें तो आज का युवा 30 की उम्र में शादी करता है और लगभग इसके बाद परिवार के बारे में सोचता है। उम्र को एक कारक के तौर पर रखने का मतलब है कि आज के दौर में शादी की उम्र और कंसीव करने की बढ़ गई है। कहीं-न-कहीं यह बांझपन का कारण बनता जा रहा है। हम सभी जानते हैं कि पुरूष या महिला किसी में भी प्रजनन क्षमता 20 से 30 की उम्र में सबसे अधिक होती है और बढ़ते उम्र के साथ प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होने लगती है।
लोगों का लाइफस्टाइल (People’s lifestyle)
बढ़ते बांझपन का एक कारण आज के दौर में लोगों का लाइफस्टाइल भी है। लाइफस्टाइल से मतलब है तनावपूर्ण जीवन, फास्ट और जंक फुड का सेवन, धूम्रपान और शराब का सेवन और व्यायाम न करने जैसी चीजें। तनावपूर्ण जीवन के तरफ जब आप अग्रसर होते हैं तो आपको न सोने का पता होता और नाही उचित आराम करने का, और इस तरह की चीजें आपको मानसिक और शारीरीक रूप से प्रभावित करती है जिसका असर आपके प्रजनन क्षमता पर पड़ता है।
इसके साथ ही आज लोगों की पहली पसंद बन गई फास्ट और जंक फुड, जो हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है और हमें रोगों का घर बना देता है। इसके साथ ही इस तरह का खाद्य पदार्थ का सेवन आपके प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करता है। जो आपको समय के साथ बांझपन के तरफ धकेलने लगती है, ऐसी परिस्थिति में आपके लिए सबसे जरूरी होता है कि आप पौष्टीक आहार का सेवन करें। ताकी आपके शरीर को उचित मात्रा में विटामीन और प्रोटिन मिले।
धूम्रपान और शराब का सेवन के प्रभाव से हम सभी वाकिफ हैं, लेकिन आज के दौर में इन सभी चीजों का सेवन एक फैशन बन गया है। धूम्रपान का सीधा असर हमारे सेहत और प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। बात करें पुरूषों पर इसके प्रभाव की तो धूम्रपान सीधे तौर पर शुक्राणु को प्रभावित करता है। जिसके वजह से शुक्राणु संख्या, गुणवत्ता और गतिशीलता भी प्रभावित हो जाती है और आप बांझपन के तरफ बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा व्यायाम और योगा जैसी चीजों से भी लोग दूर रहते हैं, जिसकी आज के दौर में लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत है।.
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निष्कर्ष (Conclusion)
भारत में बांझपन के बढ़ते मामलों के कारक प्रदुषण, उम्र और लोगों का लाइफस्टाइल है। वायु प्रदुषण पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है और साथ आज के दौर में शादी में समय लगना जैसी चीजें प्रजनन क्षमता पर असर डालती है। हम सभी जानते हैं कि बढ़ते उम्र के साथ प्रजनन क्षमता प्रभावित होने लगती है, और ऐसे में शादी में देर आपको निसंतानता के तरफ न धकेल दे। लाइफस्टाइल के तौर पर आज लोग फास्ट फुड का सेवन, धूम्रपान और शराब का सेवन भी एक कारण है जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। अगर आप भी निसंतानता की समस्या से जुझ रहे हैं तो दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ सेंटर(Top IVF Centre in Delhi) से संपर्क कर सकते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारत में बांझपन क्यों बढ़ रहा है?
उत्तर – भारत में बांझपन के बढ़ते मामलों के कई कारक हैं, उनमें कुछ कारकों को आप जानते हैं और कुछ कारकों को जानकर नहीं जानते हैं। कारक निम्नलिखित हैं
प्रदुषण
उम्र
लाइफस्टाइल
2. पुरुष बांझपन कैसे होता है?
उत्तर- पुरुष बांझपन के कई कारण शामिल है। जैसे हाईपरटेंशन, धूम्रपान और शराब, असंतुलित हार्मोन्स और अनुवांशिक भी हो सकता है।
3. क्या बीपी शुक्राणु को प्रभावित करता है?
उत्तर- सिर्फ बीपी आपके शुक्राणु को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन उच्च बीपी आपके शुक्राणु को काफी हद तक प्रभावित करता है। जैसे – वीर्य की कमी, शुक्राणु की संख्या और गतिशीलता, शुक्राणु डीएनए और इरेक्टाइल डिसफंक्शन।
4. क्या बांझपन ठीक हो सकता है?
उत्तर - हां, लेकिन यह कारण पर निर्भर करता है। 85% से 90% मामलों में, जीवनशैली में संशोधन, दवा, एआरटी या सर्जरी से बांझपन का इलाज किया जा सकता है और व्यक्ति को गर्भधारण करने की अनुमति मिल सकती है।
5. पुरुष बांझपन के शीर्ष 3 कारण क्या हैं?
उत्तर – पुरुषों में बांझपन कम शुक्राणु उत्पादन, असामान्य शुक्राणु कार्य और शुक्राणु गुणवत्ता के कारण हो सकता है। इसके अलावा बीमारियां, पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं, जीवनशैली विकल्प और अन्य कारक पुरुष बांझपन में योगदान कर सकते हैं।
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